


ZOMBIE ARMY
चारों तरफ फैली वीरानी में केवल चीखों की गूँज थी। राख और धूल से भरी हवाएँ इस नष्ट हो चुकी दुनिया की अंतिम साँसों का एहसास करा रही थीं। सड़कें वीरान थीं, इमारतों के ढह चुके ढाँचे बस खंडहरों के रूप में खड़े थे। लेकिन इस सुनसान धरती पर एक हलचल थी—एक तेज़ रफ़्तार में भागती कार।
उसकी हेडलाइट्स अंधेरे को चीरती हुई आगे बढ़ रही थीं। अंदर बैठा शख्स—भय और बेचैनी से भरा हुआ। पीछे की खिड़की से झाँकने पर दिखाई पड़ता है, अनगिनत संख्या में जॉम्बीज। वे लड़खड़ाते हुए दौड़ रहे थे, उनकी चीखें हवा में तैर रही थीं। उनका इकलौता लक्ष्य—भागती कार को पकड़ना।
चालक ने स्टीयरिंग को कसकर पकड़ लिया। उसने तेज़ी से गियर बदला और स्पीड बढ़ा दी। लेकिन तभी… उसे सामने एक टूटी हुई पुलिया दिखाई दी!
ब्रेक लगाने का समय नहीं था। सामने केवल दो रास्ते थे—या तो सीधा छलाँग लगाकर इस पुलिया को पार किया जाए, या फिर कहीं दूसरी दिशा में भागने का प्रयास किया जाए।
लेकिन भागने का विकल्प कहाँ था? जॉम्बीज का झुंड चारों तरफ से घेर चुका था।
अब उसे एक अंतिम निर्णय लेना था।
” पापा अब क्या होगा!”
तभी उसे
कार की तेज़ गड़गड़ाहट के बीच, वह आवाज सुनाई दी, वह आवाज जो उसकी उस 10 वर्षीय बेटी की आवाज थी जो कार के अंदर बैठी अपनी सीट के पीछे दुबकी हुई थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें हर मोड़ पर सहमी हुई थीं, उसके नन्हे हाथ अपने पिता की जैकेट को कसकर पकड़े हुए थे।
“पापा… हम बच जाएँगे, न?” उसकी हल्की आवाज़ में भय था, लेकिन विश्वास भी।
उसके पिता ने एक पल के लिए उसे देखा। उसकी आँखों में थकान थी, डर भी था, लेकिन उससे कहीं ज़्यादा हिम्मत थी।
“हाँ, बेटा,” उसने तुरंत जवाब दिया, मानो खुद को यकीन दिला रहा हो।
लेकिन सामने अब भी टूटी हुई पुलिया थी। चारों ओर से बढ़ते जॉम्बीज़ के बीच, उसके पास बस कुछ ही सेकंड बचे थे निर्णय लेने के लिए। उन्होंने गहरी साँस ली, फिर अचानक कार की रफ़्तार और बढ़ा दी।
पीछे बैठे बच्ची ने डर से आँखें बंद कर लीं।
धड़ाम!
कार हवा में उछली। नीचे विशाल गड्ढा था—अगर छलाँग ठीक से नहीं लगी, तो यह यात्रा इसी मोड़ पर खत्म हो जाएगी। और यह बात उसे अच्छी तरह मालूम थी….
कार हवा में थी। कुछ पलों के लिए सब कुछ थम सा गया। नीचे खुला गड्ढा था, और अगर पहिए सही जगह पर नहीं उतरे, तो सब खत्म हो सकता था।
बच्ची ने अपनी छोटी-छोटी उंगलियों से अपनी सीट को कसकर पकड़ लिया। पिता ने अपने दाँत भींच लिए।
धड़ाम!
कार ज़ोरदार झटके के साथ दूसरी तरफ गिरी। पहिए लड़खड़ाए, लेकिन… वे बच गए थे। पर उनके पीछे जो जॉम्बीज की सी थी वह भी उसे बड़े गड्ढे को पार करने की कोशिश में लग गई इसलिए
खुशी का समय नहीं था। अगला खतरा सामने था।
जैसे ही कार की रफ़्तार फिर से तेज़ हुई, अचानक एक तरफ से एक और वाहन सामने आया। यह बचे हुए इंसानों का एक समूह था।वे हथियारों से लैस थे। उनके चेहरे पर संदेह था।
“रुक जाओ!” उनमें से एक ने ज़ोर से चिल्लाया, बंदूक उठाते हुए।
उसने तेजी से ब्रेक लगाया। छोटी बच्ची ने सहमे हुए अपने पिता का हाथ पकड़ लिया।
“हम कोई खतरा नहीं हैं!” पिता ने कहा, आवाज़ में घबराहट और दृढ़ता दोनों थे। समूह ने एक-दूसरे को देखा। एक महिला ने आगे बढ़कर बच्ची को देखा। उसकी आँखों में नरमी थी।
“तुम कहाँ जा रहे हो?” उसने पूछा।
पिता ने गहरी साँस ली। “एक सुरक्षित जगह खोजने। लेकिन क्या यहाँ कोई ऐसी जगह बची है?”
समूह मैं मौजूद सभी के चेहरे पर एक गहरा सन्नाटा छा गया।
चारों ओर सन्नाटा था, लेकिन यह सन्नाटा स्थायी नहीं था। पिता ने अपनी बेटी को हल्के से अपनी ओर खींच लिया, मानो उसे दुनिया की हर बुरी चीज़ से बचाने का संकल्प लिया हो।
समूह के कुछ लोग आगे बढ़े। उनकी आँखों में संदेह था, लेकिन उनमें से कुछ के चेहरों पर थकान भी थी—जैसे वे भी इस दौड़ से थक चुके हों।
“हमारे पास एक सुरक्षित ठिकाना है,” महिला ने धीरे से कहा। “अगर तुम चाहो तो हमारे साथ चल सकते हो।”
पिता ने बच्ची को देखा। उसकी आँखों में उम्मीद थी।
“कहाँ है यह ठिकाना?” उन्होंने पूछा।
महिला ने इशारा किया। कुछ दूर पर एक पुराना गोदाम दिख रहा था, जिसके चारों ओर ऊँची दीवारें थीं।
क्या यह सच में सुरक्षित था? या फिर यह एक और जाल था, जहाँ उम्मीद अंदर जाते ही खत्म हो जाएगी?
तभी अचानक एक ज़ोरदार चीख़ गूँजी!
सबने पीछे मुड़कर देखा—एक आदमी दौड़ रहा था, और उसके पीछे एक भयानक विशालकाय ज़ोंबी! उसके कद और रफ़्तार से साफ़ था यह कोई आम जॉम्बी नहीं था। यह पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ और ताकतवर था।
तेज़ रफ़्तार से दौड़ता आदमी मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन उसके पीछे जो आ रहा था वह कोई आम जॉम्बी नहीं था।
बह तेज़, ताकतवर और कहीं ज़्यादा खतरनाक था। उसके शरीर पर फटी-फटी खाल थी, और उसकी आँखों में भयानक लाल चमक। समूह के कुछ लोग घबराए।
“यह कौन सा ज़ोंबी है?” एक ने घबराकर पूछा।
महिला, जो अब तक सबसे शांत दिख रही थी, आगे बढ़ी। उसने अपनी बंदूक उठाई।
“यह कुछ अलग है…” उसने धीरे से कहा। “अगर हमने इसे अभी नहीं रोका, तो यह हमें खत्म कर देगा।”
पिता ने बच्ची को अपनी बाहों में कस लिया।
“यहाँ रहो, ठीक है?” उसने फुसफुसाया।
बच्ची ने सिर हिलाया। उसकी आँखें भय से बड़ी हो गई थीं।
ज़ोंबी गुर्राया और दौड़ पड़ा। महिला ने पहली गोली दागी—लेकिन यह ज़ोंबी रुकने वाला नहीं था। उसने झटके से एक आदमी को पकड़ लिया और ज़मीन पर पटक दिया।
अब समय नहीं बचा था। लड़ाई शुरू हो चुकी थी।
तेज़-तर्रार ज़ोंबी अभी भी गुर्रा रहा था, लेकिन समूह ने एक रणनीति बना ली थी। महिला, जिसने अब तक सबसे अधिक आत्मविश्वास दिखाया था, इशारे से बाकी लोगों को पीछे हटने को कहा।
“इसे अकेले नहीं हराया जा सकता,” उसने धीरे से फुसफुसाया।
पिता ने बच्ची को कसकर पकड़ लिया। वे अभी भी अनिश्चित थे कि इस समूह पर भरोसा किया जाए या नहीं।
“तुम लोग कौन हो?” उन्होंने अचानक सवाल किया। “क्या तुम सिर्फ ज़िंदा रहने की कोशिश कर रहे हो, या तुम कुछ जानते हो?”
महिला ने एक पल को उनकी आँखों में देखा, फिर धीरे से कहा—
“हम सिर्फ बचे हुए लोग नहीं हैं। हम इस दुनिया के पतन की सच्चाई जानते हैं। और यह—यह कोई आम ज़ोंबी नहीं।”
बाकी समूह के लोग भी चुप हो गए। उनमें से एक आदमी आगे आया। उसके चेहरे पर चोटों के गहरे निशान थे, जैसे वह पहले ही कई लड़ाइयों से गुजर चुका था।
“यह प्रयोग का नतीजा है,” उसने धीरे से कहा। “सरकार ने जो किया… उसका अंजाम हमारे सामने है।”
उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। “मतलब यह सब दुर्घटनावश नहीं हुआ?”
समूह के चेहरे पर एक सन्नाटा था।
तभी ज़ोंबी फिर से झपट पड़ा! जोंबी के विशालकाय शरीर ने एक आखिरी हमला किया। उसने झपट्टा मारा, लेकिन समूह तैयार था। महिला ने अपनी बंदूक को सीधा किया। “अब खत्म करो इसे!” उसने आदेश दिया।
एक के बाद एक गोलियाँ ज़ोंबी पर बरसने लगीं। लेकिन यह सामान्य नहीं था—यह ज़ोंबी पहले से कहीं ज़्यादा सहनशील था।
पिता ने एक लोहे की रॉड उठाई और पूरी ताकत से ज़ोंबी के सिर पर वार किया।
“अब खत्म हो जाओ!”
आखिरी गोली चलने के साथ ही ज़ोंबी एक कड़क आवाज़ के साथ ज़मीन पर गिर पड़ा। कुछ सेकंड के लिए सब शांत था, फिर महिला ने धीरे से कहा—
“यह खत्म हुआ। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है।”
पिता ने गहरी साँस ली। उनकी बेटी अब भी डरी हुई थी, लेकिन उन्होंने उसे आश्वस्त करने के लिए उसका हाथ थाम लिया।
“तुमने कहा था कि यह किसी प्रयोग का नतीजा है। यह सब कैसे शुरू हुआ?”
समूह के नेता—जिसका नाम रवि था—आगे बढ़ा। उसकी आँखों में एक गहरी थकान थी।
“सरकार ने एक बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट किया था, एक वायरस जिससे सैनिकों को ज़्यादा ताकतवर बनाया जा सके। लेकिन कुछ गलत हो गया। वायरस फैलने लगा। और फिर… सबकुछ खत्म होने लगा।”
“यानी यह सब दुर्घटनावश नहीं था?” पिता ने धीरे से पूछा।
रवि ने सिर हिलाया। “नहीं। और सबसे बुरी बात यह है कि कुछ लोग अब भी इन प्रयोगों को जारी रख रहे हैं। वे मानते हैं कि वे ज़ोंबी को नियंत्रित कर सकते हैं।”
पिता की आँखों में चिंता फैल गई। “तो मतलब खतरा अभी भी खत्म नहीं हुआ?”
महिला ने सिर झुकाया। “बिल्कुल नहीं। और अगर तुम अपनी बेटी को बचाना चाहते हो, तो हमें एक और खतरे का सामना करना होगा—उन लोगों का, जो अब भी इन प्रयोगों को चला रहे हैं।”
(फ्लैशबैक: शुरुआत)
कमरे में हल्की रोशनी थी। सरकारी प्रयोग पर एक बड़ी बैठक चल रही थी। चारों ओर बड़े वैज्ञानिक, सैन्य अधिकारी और उच्च पदस्थ नेता बैठे थे। इस बैठक का मकसद था—भविष्य में किसी भी महामारी या जैविक हमले से बचने के लिए एक अनोखी रणनीति बनाना।
बैठक के केंद्र में बैठी थी डॉ. शीला—एक सम्मानित वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ। वही शीला, जो अब उन बचे हुए लोगों के समूह का नेतृत्व कर रही थी।
“हम इतिहास से जानते हैं कि महामारी सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं होती,” शीला ने कहा। **”कभी-कभी, यह एक जैविक हथियार के रूप में प्रयोग होती है। सवाल यह नहीं है कि अगली महामारी कब आएगी। सवाल यह है—हम इसे कैसे रोक सकते हैं?” कमरे में सन्नाटा छा गया। फिर एक सैन्य अधिकारी ने आगे झुककर कहा—
“हमारी सेना के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं कि वे हर जैविक खतरे से लड़ सकें। लेकिन अगर हम अपने सैनिकों को ‘सुपर-सोल्जर’ बना सकें, तो क्या हम इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं?”
शीला ने गहरी साँस ली। “यह संभव है,” उसने कहा। “लेकिन हमें पहले यह समझना होगा कि हम अपने शरीर को कैसे जैविक हमलों के लिए तैयार कर सकते हैं।”
शीला ने स्क्रीन पर कुछ डेटा प्रदर्शित किया।
- जीन एडिटिंग और इम्यून सिस्टम को बढ़ाना – शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इतनी तेज़ बना दिया जाए कि वह किसी भी वायरस को रोक सके।
- नैनोबॉट्स का प्रयोग – सूक्ष्म रोबोट जो शरीर में रहकर किसी भी बाहरी संक्रमण से लड़ने में सक्षम हों।
- सुपर-सोल्जर प्रोजेक्ट – सैनिकों को विशेष इंजेक्शन दिया जाए जो उनके शरीर को मजबूत बनाए और उन्हें जैविक युद्ध के लिए तैयार करे।
“हम अपने शरीर के प्राकृतिक संतुलन के साथ खेल रहे हैं,” शीला ने चेताया। “अगर कुछ भी गलत हुआ, तो यह सुधार नहीं किया जा सकता। यह मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा भी बन सकता है।”
कमरे में बैठे नेता एक-दूसरे को देखने लगे। उनमें से कुछ यह सोच रहे थे कि यह प्रयोग बहुत जोखिम भरा था, लेकिन कुछ लोग इसे जारी रखना चाहते थे।
अचानक, एक आवाज़ आई—
“हमारे पास समय नहीं है। हमें ये प्रयोग शुरू करने होंगे।”
यही वह क्षण था, जब इंसान ने अपनी सीमाओं को लाँघकर एक नई तबाही को जन्म दिया।
बैठक खत्म हो चुकी थी। निर्णय लिया जा चुका था।
सरकार ने प्रयोग को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी थी—भले ही इसके परिणाम पूरी मानवता के लिए विनाशकारी साबित हो सकते थे।
शीला ने गहरी साँस ली। “अगर हमने इसे सही तरीके से नहीं संभाला, तो यह सिर्फ एक सुरक्षा प्रोजेक्ट नहीं रहेगा—बल्कि यह तबाही की शुरुआत बन सकता है।”
लेकिन उसकी चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
जीन एडिटिंग तकनीक के द्वारा एक विशेष वायरस तैयार किया गया। इसे “Aegis-9” नाम दिया गया—एक ऐसा वायरस जो किसी भी बाहरी जैविक हमले का प्रतिरोध कर सकता था।
लेकिन शीला और उसकी टीम ने जल्द ही यह देखा कि इस वायरस की कुछ अप्रत्याशित क्षमताएँ उभर रही थीं।
1. इंसानों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ा देता था। - आक्रामकता को बढ़ाता था, जिससे इंसान खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता था।
- वायरस अत्यधिक संक्रामक था—और हवा के जरिए भी फैल सकता था।
शीला का डर बढ़ने लगा।
“हम एक सुरक्षा कवच नहीं, बल्कि एक नई महामारी बना रहे हैं!” उसने ऊँचे स्वर में कहा।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सरकार ने प्रयोग को गुप्त रखा। इसे एक खास सैन्य दल पर परीक्षण किया गया।
पहले कुछ दिनों में, सैनिकों की ताकत बढ़ी। उनकी सहनशक्ति कई गुना ज़्यादा हो गई।
लेकिन फिर परिणाम खतरनाक होने लगे।
एक सैनिक ने अचानक नियंत्रण खो दिया।
उसकी आँखों की रंगत बदल गई। उसका शरीर लड़खड़ाने लगा। और फिरउसने अपने ही साथी पर हमला कर दिया।
शीला ने यह देखा और उसका दिल बैठ गया।
“अब हमें इसे तुरंत रोकना होगा!”
लेकिन सरकार ने कहा—”यह बस एक छोटी सी समस्या है। हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।”
एक रात… वायरस प्रयोगशाला से बाहर निकल गया।
कोई नहीं जानता कि यह कैसे हुआ। शायद कोई सुरक्षा तंत्र फेल हो गया। शायद किसी ने इसे जानबूझकर छोड़ा।
लेकिन अब दुनिया बदलने वाली थी।
शीला जानती थी कि इस दुनिया को बचाने का सिर्फ एक ही तरीका था—वायरस को रोकना और इसके रहस्य को उजागर करना।
रात का अंधेरा हर तरफ़ पसरा था। सड़कों पर घुप्प सन्नाटा था, लेकिन शीला के मन में तूफ़ान उठ रहा था। गुस्से से भरी हुई, वह तेज़ी से चलते हुए उस सरकारी अफ़सर के घर की ओर बढ़ रही थी—वही अफ़सर जिसने इस ख़तरनाक वायरस प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी थी।
उसका दिल धड़क रहा था। उसकी आँखों में क्रोध था। “अगर यह प्रयोग जारी रहा, तो पूरी मानवता बर्बाद हो जाएगी!” उसने खुद से कहा।
शीला धीमे कदमों से घर के पास पहुँची। अंदर से हल्की आवाज़ें आ रही थीं।
उसने एक खिड़की से झाँका और जो देखा, उससे उसका गुस्सा और बढ़ गया।
सरकारी अफ़सर—मिस्टर अजय—बैठे थे, और उनके सामने तीन लोग थे। उनके चेहरे पर एक अजीब सा सुकून था, जैसे कोई बड़ा सौदा हो रहा हो।
शीला ने ध्यान से सुना।
अजय: “मुझे डर लग रहा है। यह प्रोजेक्ट बहुत आगे बढ़ चुका है। अगर यह सार्वजनिक हो गया, तो हम पर केस चल सकता है।”
पहले चीनी अधिकारी ने हंसते हुए कहा “डरने की कोई ज़रूरत नहीं, मिस्टर अजय। हमने यह सब प्लान किया था। अगर कभी भी कोई समस्या आए, तो हम तुम्हें बचा लेंगे।”
दूसरा चीनी अधिकारी बोला “देखो, यह सिर्फ़ एक प्रोजेक्ट नहीं है। यह एक ताकत है। अगर हम इस वायरस को सही तरीके से इस्तेमाल करें, तो हम दुनिया की सबसे ताकतवर सरकार बन सकते हैं।”
अजय ने गहरी साँस लेते हुए कहा “लेकिन यह वायरस… यह अब नियंत्रण से बाहर हो रहा है। शीला सही कह रही थी, शायद हमें इसे रोक देना चाहिए।”
तीसरे चीनी अधिकारी गंभीर स्वर में बोला- “नहीं, मिस्टर अजय। तुम इसे रोकने नहीं दोगे। तुम्हें यह आगे बढ़ाना होगा। और तुम्हारे लिए एक छोटा सा तोहफा भी है…”
उसने अपने हाथ में थमा एक ब्रीफ़केस टेबल पर रखा दिया।
अजय ने धीरे-धीरे ब्रीफ़केस खोला और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, उसमें लाखों रुपये भरे थे।
अजय: “…ये… ये बहुत ज़्यादा पैसा है।”
पहला चीनी अधिकारी मुस्कुराया “बस, अब किसी भी तरह की हिचकिचाहट खत्म होनी चाहिए। तुमने एक बार हामी भर दी थी, अब पीछे नहीं हट सकते।”
शीला ने यह सब सुन लिया था। उसकी मुट्ठियाँ भिंच गईं। उसने गहरी साँस ली। अब उसे यकीन हो गया था—यह सिर्फ़ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं था, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय साजिश थी।
अगर वह कुछ नहीं करती, तो यह वायरस फैलकर पूरी दुनिया को तबाह कर सकता था।
शीला ने अपनी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश की। गुस्से से उसकी आँखें जल रही थीं।
“तुम लोग क्या समझते हो?” उसने ज़ोर से कहा, आवाज़ पूरे कमरे में गूँज गई। “कि तुम पैसे और ताकत से सब कुछ दबा सकते हो? मैं तुम्हारी सच्चाई पूरी दुनिया के सामने लाऊँगी!”
अजय की आँखें सिकुड़ गईं। उसने घबराहट में इधर-उधर देखा, फिर झट से मुस्कुराया—एक ऐसी मुस्कान जिसमें क्रूरता थी।
वह व्यंग्यात्मक स्वर में बोला “ओह, शीला! तुम बहुत भोली हो। तुम्हें क्या लगता है—तुम अकेली हमारी सच्चाई उजागर कर सकती हो? तुम्हें किसी ने बताया नहीं कि इस दुनिया में सच कहने वाले ज़्यादा देर तक ज़िंदा नहीं रहते?”
शीला ने गुस्से से कहा “सच को दबाने की बहुत कोशिशें हुई हैं, लेकिन मैं इसे दबने नहीं दूँगी!” पहले चीनी अधिकारी ने गंभीर होकर कहा “अगर तुम यह सब बाहर ले जाओगी, तो तुम्हारी अपनी ज़िंदगी मुश्किल में पड़ जाएगी। अच्छा होगा कि तुम इस मामले को यहीं छोड़ दो।” शीला आँखों में आग लिए गरजी “मेरी ज़िंदगी मेरी चिंता नहीं। चिंता इस दुनिया की है। जो तुम सब बर्बाद करने पर तुले हो!” अजय कुटिलता से हंसते हुए बोला- “अगर तुम इतनी बहादुर बन रही हो, तो तुम्हें रोकना पड़ेगा।” अजय ने इशारा किया और दो गार्ड उसके पीछे बढ़े। शीला ने तुरंत स्थिति को भाँपा। उसने एक कुर्सी उठाई और ज़ोर से एक गार्ड के चेहरे पर दे मारी। गार्ड लड़खड़ा गया। दूसरा गार्ड आगे बढ़ा, लेकिन शीला पूरी ताकत से उसे धक्का देकर पीछे कर देती है। अजय चिल्लाया—”पकड़ो इसे!” पर शीला उस संकरी गलियारे से तेज़ी से भागी। उसका दिल इतनी तेज़ धड़क रहा था कि उसे अपने ही कदमों की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी। वह तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ी, लेकिन तभी बाहर चीनी एजेंट्स खड़े थे। उनमें से एक ने कहा—”अब तुम बचकर नहीं जा सकती।” लेकिन शीला झुकी, एक तेज़ी से लात मारी और उनके बीच से निकलकर भाग गई। रात का अंधेरा उसका सहारा था। उसे नहीं पता था कि वह कहाँ जा रही थी, बस यह पता था—अगर वह रुकी, तो वह मारी जाएगी। अजय ने अपनी जैकेट को ठीक किया और दाँत भींचते हुए कहा—”यह औरत अगर बच गई, तो हमारा पूरा खेल खत्म हो जाएगा!” दूसरा चीनी अधिकारी: गंभीर स्वर में बोला-“हमें उसे तुरंत रोकना होगा। अगर उसने दुनिया को सब कुछ बता दिया, तो हम बर्बाद हो जाएँगे।” अजय कुछ पल सोचता रहा, फिर अचानक हँस पड़ा। “नहीं… वह ऐसा नहीं कर पाएगी। उससे पहले ही वह मारी जाएगी। और उसे मारेंगे वे ही लोग जिनके पास वह सब बताने जा रही है।” तुरंत ही अजय ने फोन उठाया और किसी को कॉल किया। शीला के कदमों की आवाज़ वीरान गलियारे में गूँज रही थी। उसके चेहरे पर तनाव था, लेकिन आँखों में उम्मीद भी। वह सबसे बड़े सैन्य अधिकारी—जनरल वीर प्रताप—के पास जा रही थी। अगर कोई इस साजिश को रोक सकता था, तो वह यही आदमी था। शीला तेज़ी से कमरे में दाखिल हुई। और गहरी साँस लेते हुए बोली “जनरल, हमें बात करनी होगी। यह वायरस एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक साजिश थी। सरकार और विदेशी शक्तियाँ इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं!” जनरल वीर प्रतापगंभीर स्वर में बोला- “यह बहुत बड़ा आरोप है, शीला। क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है?” “हाँ! मैंने खुद देखा कि अजय ने इस प्रोजेक्ट को चीन के लोगों के साथ मिलकर आगे बढ़ाया है। वह सब पैसे के लिए कर रहे हैं!” जनरल ने गहरी साँस ली। उसकी आँखें कुछ सोच रही थीं। फिर उसने शीला की ओर देखा। “अगर यह सच है,” उसने कहा, *”तो हमें तुरंत कदम उठाने होंगे। मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”
शीला के चेहरे पर एक हल्की राहत आई।
“तो आप इस साजिश को रोकेंगे?”
“हाँ। लेकिन पहले मैं तुम्हें कुछ लोगों से मिलवाना चाहता हूँ।”
जनरल ने दरवाजे की ओर इशारा किया।
“वे लोग जो तुम्हारी मदद कर सकते हैं।”
शीला के दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
जनरल के साथ चलते हुए शीला एक बड़े कमरे में दाखिल हुई।
लेकिन जैसे ही उसने अंदर कदम रखा—वह स्तब्ध रह गई। सामने वही अजय और चीनी अधिकारी खड़े थे।
अजय ने एक ठंडी मुस्कान के साथ कहा—”हर आदमी के बिकने की कीमत होती है, शीला। और हमने जनरल को खरीद लिया है।”
शीला ने पीछे मुड़कर जनरल को देखा। उसकी आँखों में कोई भाव नहीं था।
शीला गुस्से से गरजी- “तुम इतने नीचे गिर सकते हो, अजय? देश और मानवता के साथ गद्दारी?”
“तुम्हें समझना चाहिए कि ताकत और पैसा दुनिया चलाते हैं। तुम्हारी सच्चाई बताने की कोशिश बेकार है। अब तुम खुद ही अपराधी बन जाओगी!”
“तुम क्या करने जा रहे हो?”
*दूसरे चीनी अधिकारी ने मुस्कुराते हुए बात काठी और बोला “अब तुम अपराधी हो। क्योंकि अब से हर दस्तावेज़ यही कहेगा कि यह वायरस तुम्हारी गलती से बना है!” शीला को झटका लगा। “नहीं…!” अजय शातिराना मुस्कान के साथ बोला “अब तुम गिरफ्तार हो चुकी हो, डॉक्टर शीला।” शीला को गार्ड्स ने पकड़ लिया। उसकी आँखों में गुस्सा था, लेकिन वह लाचार थी। जल्द ही शीला जेल में थी उसे लोहे के मोटे दरवाजों के पीछे डाल दिया गया था। उस पर देशद्रोह और एक खतरनाक वायरस बनाने का आरोप था—एक ऐसा अपराध जिसे उसने कभी किया ही नहीं। लेकिन दुनिया ने उसकी आवाज़ सुनने से इनकार कर दिया था। वह कोठरी के छोटे से रोशनदान से बाहर झांकती थी। आसमान काला पड़ चुका था, जैसे खुद प्रकृति भी इस अन्याय पर रो रही हो। उसका दिल भारी था। क्या उसका जीवन यहीं खत्म होने वाला था? कई दिनों तक जेल में उसे किसी से बात करने की इजाज़त नहीं थी। लेकिन एक रात, दरवाज़े के पीछे धीमी आवाज़ सुनाई दी। “शीला?” वह चौंक गई। आवाज़ जानी-पहचानी थी। दरवाज़ा धीरे से खुला, और भीतर जेलर विकास दाखिल हुआ। वही विकास जो कभी शीला का सबसे होनहार छात्र हुआ करता था। शीला की आँखें चौड़ी हो गईं। “विकास?” उसने विस्मय से कहा। विकास ने धीमी आवाज़ में कहा- “मैम, मैं जानता हूँ कि आप बेगुनाह हैं। जो सत्य और देशभक्ति का पाठ पढ़ाता हो, वह गुनहगार नहीं हो सकता।” शीला भावनात्मक स्वर में बोली- “अगर तुम यह जानते हो, तो बाकी लोग क्यों नहीं समझते?” “क्योंकि सत्ता के हाथ में सच्चाई की डोर होती है, मैम। उन्हें सिर्फ़ वह सच चाहिए, जिससे उनका फायदा हो।” शीला ने गहरी साँस ली। “और तुम यहाँ क्यों आए हो?” विकास ने अपने जेब से मोबाइल निकाला। उसने स्क्रीन पर कुछ वीडियो दिखाए। “देखिए, यह वायरस आपके नाम पर बनाया गया था। लेकिन यह पूरी तरह से सरकार का षड्यंत्र है। और अब, यह तेजी से फैल रहा है।” शीला ने आँखें चौड़ी कर लीं। वीडियो में दिख रहा था कि इंसानों को इस वायरस ने दानवों में बदल दिया था। उनका शरीर विकृत था। वे अनियंत्रित रूप से दूसरों पर हमला कर रहे थे। “यह… यह क्या हो रहा है?” विकास बोला- “सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रोका नहीं। बल्कि इसे आगे बढ़ाया। वे चाहते थे कि इस वायरस को और ज्यादा शक्तिशाली बनाया जाए।” शीला को महसूस हुआ कि उसका डर सही था। यह वायरस अब मानवता को खत्म करने के लिए तैयार था। अब क्या? विकास ने शीला की ओर देखा। “मैम, आप ही हैं जो इस समस्या का समाधान कर सकती हैं। अगर आप इस जेल में बंद रहीं, तो दुनिया खत्म हो जाएगी।” “तो?” शीला ने पूछा। विकास ने गहरी साँस ली। “इसलिए मैं आपको यहाँ से भागने में मदद करने के लिए आया हूँ।” शीला कुछ पलों तक चुप रही। यहां से यानी जेल से भागना? यह कितना संभव था? और इसका अंजाम क्या होने वाला था! लेकिन फिर उसे एहसास हुआ—यह कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी। यह मानवता की आखिरी लड़ाई थी। शीला “अगर मैं भागूँ, तो मुझे क्या करना होगा?” “हमारे पास समय कम है। मैं जेल के सुरक्षा सिस्टम को कुछ देर के लिए डाउन कर दूँगा। लेकिन उसके बाद, आपको अंधेरे गलियारे से बाहर निकलना होगा।” “और अगर पकड़ी गई?” विकास (हल्की मुस्कान के साथ बोला- “आप हार मानने वालों में से नहीं हैं, मैम। आपको अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई लड़नी होगी।” शीला ने गहरी साँस ली। “तो फिर चलो।” अब समय आ चुका था। विकास ने सुरक्षा कोड्स को बदल दिया। जेल की बिजली कुछ मिनटों के लिए बंद हो गई। शीला ने अंधेरे में दौड़ लगाई। हर कदम उसके भाग्य का फैसला कर सकता था। वर्तमान चमकती आग की रोशनी में दो साए उभर रहे थे। शीला और हर्षल जो उस 10 वर्षीय लड़की का पिता था, दोनों ही खंडहरों के बीच खड़े थे। उनके चेहरे पर थकान थी, लेकिन उनकी आँखों में अभी भी उम्मीद की हल्की सी चमक बाकी थी।”जब मैं जेल से बाहर आई,” शीला ने धीरे से कहा, “तो मैंने पहला काम यही किया कि वायरस के लिए एंटीडोट बनाने की कोशिश करूँ।” हर्षल, उसकी बात, ध्यान से सुन रहा था। “तुम सफल हो पाईं?” उसने धीमे स्वर में पूछा। शीला ने सिर हिलाया। “नहीं। मेरे पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। हर लैब तबाह हो चुकी थी, सरकार खुद इस वायरस को फैलाने वालों की मदद कर रही थी। और इस बीच…” उसने गहरी साँस ली। “…वायरस और फैलता चला गया।” अब दुनिया का एक बड़ा हिस्सा जोंबी में बदल चुका था। हर्षल ने चारों ओर देखा। बिखरी हुई इमारतें, धुआँ, और अनगिनत मरे हुए शरीर—सबकुछ इस वायरस की भयावहता बयां कर रहा था। “अब क्या?” उसने पूछा। शीला ने एक जर्जर दीवार के पीछे छिपते हुए कहा, “अब ये जोंबी पहले से भी ज़्यादा खतरनाक हो चुके हैं। वायरस ने उन्हें और ताकतवर बना दिया है। वे आसानी से मरते भी नहीं हैं।” तभी अचानक—गुर्राने की आवाज़ आई। हर्षल ने अपनी बच्ची को कसकर पकड़ लिया। शीला की आँखें चौड़ी हो गईं। सामने एक विशालकाय जोंबी खड़ा था। यह अब तक का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक जोंबी था। “यह वायरस की सबसे बड़ी तबाही का नमूना है,” शीला ने फुसफुसाया “क्या यह मारा जा सकता है?” हर्षल ने पूछा तो शीला गहरी सांस लेकर बोली- “हमारी सामान्य गन्स इसे खत्म नहीं कर सकतीं। हमें कुछ बड़ा करना होगा।” हर्षल कसकर अपनी बेटी अपनी बेटी का हाथ पकड़ते हुए बोला- “अगर यह हमारी तरफ आया, तो हम खत्म हो जाएँगे!” “हमें दौड़ना होगा। इसके मूवमेंट्स को समझना होगा। इसी बीच जोंबी ने एक भयंकर चीख़ मारी।हवा काँप उठी। “भागो!” शीला ने हर्षल का हाथ पकड़कर ज़मीन की ओर खींचा।जोंबी का पहला वार हुआ—एक टूटी हुई गाड़ी हवा में उड़ गई और दूसरे बिल्डिंग से टकरा गई। हर्षल और शीला ने छिपने की कोशिश की, लेकिन यह जोंबी बहुत तेज़ था। “हमें इसे रोकना होगा!”हर्षल चिल्लाया। शीला ने चारों ओर देखा—कोई रास्ता नहीं था। फिर उसकी नज़र एक बड़े विस्फोटक सिलेंडर पर पड़ी। “अगर हम इसे सही जगह पर रख दें, तो शायद इस जोंबी को खत्म कर सकते हैं!”हर्षल ने चिंता से देखा और कहा – “लेकिन इसका मतलब होगा कि हमें इसे करीब से लड़ना होगा…” शीला और हर्षल दर्द से कराहते हुए ज़मीन पर पड़े थे। उनका शरीर ज़ख्मी था, लेकिन उनकी नज़रें बस एक ही चीज़ पर थीं—हर्षल की बेटी, जो अब उस दैत्याकार जोंबी के चंगुल में थी। जोंबी ने अपनी भयंकर चीख़ के साथ अपना सिर नीचे झुकाया, उसके नुकीले दाँत चमक रहे थे। शीला ने पूरी ताकत से चिल्लाया—”नहीं!” हर्षल हताश होकर अपने घुटनों पर बैठ गया। उसकी आँखों में खून उतर आया। “मुझे कुछ करना होगा… मुझे अपनी बेटी को बचाना होगा!” जोंबी की साँसें तेज़ हो गई थीं। वह अपने दाँत हर्षल की मासूम बेटी के गले में गड़ाने ही वाला था कि…
अचानक…
हर्षल की बेटी के चोटिल शरीर से कुछ खून की बूंदें गिर गईं—सीधे उस जोंबी की काली खाल पर।
जैसे ही खून की पहली बूंद उसके शरीर पर पड़ी—जोंबी की आँखें चौड़ी हो गईं।उसके मुंह से एक दहशत भरी चीख़ गूँजी।
जोंबी का शरीर थरथराने लगा। उसने अपने हाथ हर्षल की बेटी की गर्दन से हटाए और अचानक पीछे हटने लगा।
“यह क्या हो रहा है?” शीला चौंक गई।
हर्षल, जो अब तक जोंबी को रोकने के लिए तैयार था, अवाक रह गया।
हर्षल ने स्तब्ध स्वर में कहा- “खून की सिर्फ़ कुछ बूंदों से… यह इतना तड़प क्यों रहा है?”
शीला भी बेहद हैरान थी- “यह असंभव है… लेकिन अगर यह सच है, तो इसका मतलब यह हुआ कि—”
“यह खून… इसे नुकसान पहुँचा रहा है!”
शीला का सोचना सही था क्योंकि जोंबी ने अपने विशालकाय हाथों से अपना शरीर पकड़ लिया था
उसकी त्वचा जलने लगी थी। वह अंधाधुंध इधर-उधर भागने लगा, जैसे कोई अदृश्य आग उसकी खाल को जला रही हो। फिर, बिना किसी चेतावनी के वह पूरी ताकत से दौड़ पड़ा और अंधेरे में ग़ायब हो गया।
हर्षल लगभग दौड़ता हुआ अपनी बेटी के पास पहुंचा- “बेटा, तुम ठीक हो?” उसने काँपते हुए कहा।
उसकी बेटी की साँसें तेज़ थीं, लेकिन वह होश में थी। उसने अपनी हथेलियों से अपने पिता का हाथ कसकर पकड़ लिया।
शीला चुप थी। उसके दिमाग़ में विचारों का तूफ़ान उठ रहा था।
“अगर यह जोंबी उसकी खून की कुछ बूंदों से तड़प उठा….तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि हर्षल की बेटी में वह गुण हैं, जो इस वायरस को खत्म कर सकते हैं?”
वो आश्चर्य से हर्षल से बोली- “हर्षल, तुम्हारी बेटी ने अभी-अभी इस जोंबी को भागने पर मजबूर कर दिया। यह असंभव है!”
हर्षल के शब्दों में भी हैरानी का सागर लहलहा रहा था- “तो क्या इसका मतलब है कि… उसके शरीर में कोई ऐसा गुण है जो इन जोंबी को रोक सकता है?”
“यह संभावना बहुत बड़ी है। अगर यह सच है, तो….तो शायद तुम्हारी बेटी ही इस महामारी का समाधान हो।”
अब क्या?
अगर हर्षल की बेटी का खून इस वायरस को रोक सकता था तो इसका मतलब था कि यह दुनिया को बचाने की कुंजी हो सकती है।
अभी दोनों सोच में ही डूबे थे कि उन्हें एक बार फिर वह तेज चित्कार सुनाई दी
सामने वह विशालकाय जोंबी खड़ा था—दुष्टता और ताकत का जीवित अवतार।
शीला ने तेजी से चारों ओर देखा। वहां एक बड़ा विस्फोटक गैस सिलेंडर पड़ा था।
“यही हमारा मौका है!” उसने हर्षल की ओर देखा और कहा।
“अगर हम इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें, तो शायद यह जोंबी खत्म हो जाए!”
हर्षल ने गहरी साँस ली। उसने अपनी बेटी को सुरक्षित जगह पर छिपाया और शीला के साथ दौड़ पड़ा।
शीला ने जल्दी से एक पुरानी टूटी हुई पाइप निकाली और उसे सिलेंडर के वॉल्व पर मारा।
“अब भागो!”
कुछ सेकंड के अंदर ही एक जोरदार धमाका हुआ,
आग के भयंकर गोले ने चारों ओर रोशनी फैला दी।
हर्षल और शीला एक दीवार के पीछे छिप गए, लेकिन जोंबी… वह आग की लपटों में घिर चुका था।
लेकिन… जब धुआँ छँटा, तो दोनों की आँखें अविश्वास से फैल गईं।
जोंबी अब भी खड़ा था। उसके कदमों में लड़खड़ाहट थी लेकिन वह खड़ा था। जाहिर था कि उसे धमाके से उसके विशाल शरीर पर कोई असर नहीं हुआ था!शीला ने गुस्से से दाँत भींचे।”हमें इसे और भी करीब से मारना होगा!”
हर्षल ने एक लोहे की रॉड उठाई और पूरी ताकत से जोंबी की तरफ बढ़ा।
लेकिन इससे पहले कि वह हमला कर पाता जोंबी ने अपना बड़ा हाथ उठाया और हर्षल को पूरी ताकत से पीछे फेंक दिया।
हर्षल हवा में उछला और एक पुरानी गाड़ी पर जा गिरा। शीला की चीख़ निकली—”हर्षल!”
शीला ने तुरंत ही हालात को समझते हुए उस कार को स्टार्ट किया और हर्षल और उसकी बेटी को लेकर वहां से भाग खड़ी हुई।
रात गहराती जा रही थी। टूटी-फूटी इमारतों के बीच, हर्षल और शीला जलती हुई आग के पास बैठे थे। उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं, लेकिन उनके दिमाग़ में सवालों की आंधी चल रही थी।
“तुमने देखा था, हर्षल?” शीला ने धीमे स्वर में कहा। “तुम्हारी बेटी के खून की बूंदें उस जोंबी पर गिरीं, और वह तड़पकर भाग गया!”
हर्षल ने अपने घायल हाथों को देखा।
“हाँ…” उसने धीरे से कहा। “लेकिन ऐसा क्यों हुआ?”
वह गहरी सोच में डूब गया।
“तुम्हारी बेटी में ऐसा क्या है जो उसे इतना अलग बनाता है?”
हर्षल आश्चर्य से बोला- “मुझे नहीं पता। लेकिन जब से वह जन्मी है, मैंने कुछ अजीब बातें देखी हैं।जैसे? उसने कभी कोई बीमारी नहीं देखी। न सर्दी, न बुखार, न कोई संक्रमण। और सबसे अजीब बात यह है…अगर उसे चोट लगती है, तो वो अपने आप ठीक हो जाती है। बिना किसी दवा के, बिना किसी इलाज के।”
शीला ने चुपचाप आग की लपटों को देखा। उसके मन में कई विचार उभर रहे थे।
‘क्या यह एक संयोग था?
या फिर हर्षल की बेटी में कोई अनोखी जैविक विशेषता थी? ‘
लेकिन अभी वे इस नतीजे पर नहीं पहुँच सकते थे।
शीला: “अगर यह सच है, तो हमें इसकी गहराई तक जाना होगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके शरीर में कोई प्राकृतिक इम्यूनिटी है जो वायरस को खत्म कर सकती है?”
“लेकिन इसका मतलब तो ये हुआ कि…”
“अगर यह सच है, तो तुम्हारी बेटी सिर्फ़ एक बच्ची नहीं है। वह इस पूरी महामारी का हल हो सकती है!”
हर्षल ने घबराकर अपनी बेटी को देखा।
“लेकिन यह सब मान लेना अभी जल्दबाजी होगी,” उसने कहा।
शीला ने सिर हिलाया।
“हाँ। हमें पहले यह साबित करना होगा।”
अब सवाल था—अगर यह सच हुआ, तो इसका मतलब था कि सरकार भी इस रहस्य को जानना चाहेगी।
क्या उन्हें इस खोज को अकेले करना चाहिए?
या फिर उन्हें किसी ऐसे वैज्ञानिक को ढूँढना चाहिए जो उनकी मदद कर सके?
लेकिन इससे पहले कि वे किसी नतीजे पर पहुँच पाते हवा में एक गहरी गुर्राहट गूँजी।
शीला ने तेजी से सिर उठाया। उसके मुंह से भय भरे शब्द निकले-
“वो… वापस आ रहा है!”
हर्षल ने अपनी बेटी को अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया।
लेकिन इस बार, यह कोई अकेला जोंबी नहीं था।
दूर अंधेरे में कई लाल आँखें चमक उठीं। यानी इस बार उन तक पहुंच गई थी पूरी जोंबी आर्मी ।
शीला ने हर्षल की ओर देखा।
“अब हम मुसीबत में हैं,” उसने धीमे स्वर में कहा।
धीरे-धीरे, जोंबी आगे बढ़ रहे थे। उनमें से कुछ पहले से ही अधिक विकृत और ताकतवर दिख रहे थे।
लेकिन उन सभी के बीच—एक बेहद विशाल जोंबी खड़ा था।
“वो… उनका सरदार है,” हर्षल ने कांपती आवाज़ में कहा।
शीला ने उसे गौर से देखा।
“वो हमें देख रहा है… लेकिन उसकी आँखों में सिर्फ़ क्रूरता नहीं, बल्कि कुछ और भी है।”
जोंबी सरदार शीला को घूरने लगा।
फिर अचानक उसकी भारी आवाज़ गूँजी—”तुम…!”
हर्षल चौंक गया।
“क्या यह… बोल सकता है?”
शीला की साँसें तेज़ हो गईं। जोंबी सरदार की आँखों में एक अजीब सा आक्रोश था।
“तुम वही हो… जिसने हमें यह रूप दिया!” वह गुर्राते हुए आगे बढ़ा।
शीला पीछे हटी।
“क्या…?”
जोंबी सरदार कुछ कदम आगे बढ़ा। उसके शरीर से काले धुएँ जैसी ऊर्जा निकल रही थी।
“तुम्हारी वजह से यह वायरस फैला!” वह गुर्राया। शीला ने अपना सिर झटका। “नहीं… यह सच नहीं है!”
हर्षल ने शीला की ओर देखा।
“क्या चल रहा है?”
शीला ने गहरी साँस ली।
“अगर यह जोंबी बोल सकता है… तो इसका मतलब है कि यह पहले इंसान था।”
शीला और हर्षल ने अपनी आखिरी योजना को अंजाम दिया, ऊपरी मंजिल पर रखा विस्फोटक सिलेंडर अब गिर चुका था।
**”अब देखना, यह इमारत इसके लिए कब्रगाह बनेगी!” शीला ने फुसफुसाया।
हवा में एक गहरी, भारी आवाज़ गूँजी।
धधड़!
एक जोरदार विस्फोट हुआ। शीला और हर्षल ने तुरंत दीवार के पीछे शरण ली। सारी इमारत धड़ाम- धड़ाम करके गिरने लगी।
जोंबी सरदार की गुर्राहट गूँजी, जैसे वह सब समझ गया हो लेकिन अब देर हो चुकी थी अब वह अपने साथी जोंबीञ के साथ इमारत के गिरते हिस्सों के नीचे फँस चुका था!
इमारत गिर रही थी। चारों ओर धूल और मलबा उड़ रहा था।
क्या जोंबी सरदार और उसकी सेना इस विस्फोट में हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थी?
इमारत के ढहने के बाद शीला और हर्षल ने पहली बार राहत की साँस ली थी।
शीला हर्षल और उसकी बेटी को लेकर एक गुप्त लैब में पहुँची।
यह कोई आम लैब नहीं थी। यह वही जगह थी जिसे शीला ने महामारी शुरू होने से पहले गुप्त रूप से सुरक्षित रखा था।
शीला ने साँस लेते हुए हर्षल को बताया “यह एक पुरानी लैब है, जहाँ मैंने पहले रिसर्च किया था। लेकिन जब हालात बिगड़ने लगे, तो मैंने इसे सुरक्षित रखा। हम यहां यह जांच करेंगे कि आखिर तुम्हारी बेटी के खून में ऐसा क्या है जो जॉम्बीज को दूर रख सकता है क्या तुम्हारी बेटी का खून जोंबी वायरस के एंटीडॉट के रूप में काम आ सकता है”
शीला ने लैब के सारे उपकरण तैयार किए।
अब उसे हर्षल की बेटी के खून का गहन अध्ययन करना था।
शीला ने खून के नमूने को माइक्रोस्कोप के नीचे रखा और पहला परीक्षण शुरू किया।
अब क्या होगा?
अगर इस खून में सच में कुछ खास था, तो यह दुनिया के लिए सबसे बड़ा बदलाव ला सकता था।
हर्षल अपनी बेटी को अपने पास बिठाए हुए था। उसकी आँखों में चिंता थी, लेकिन वह जानता था कि यह प्रयोग ही उनके सभी सवालों का जवाब दे सकता था।
शीला ने खून की पहली बूँद को माइक्रोस्कोप के नीचे रखा। कुछ क्षणों तक उसने निरीक्षण किया… और फिर उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।
शीला के मुंह से अविश्वास से भरा स्वर फूटा- “यह… यह असंभव है।”
“क्या हुआ?” हर्षल ने हैरानी से पूछा तो शीला एक गहरी सांस लेते हुए बोली- “यह खून किसी आम इंसान जैसा नहीं है। इसके भीतर कुछ ऐसा है जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा…इस खून की संरचना इतनी अनोखी है कि यह वायरस को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है।”
हर्षल ने अपनी बेटी को देखा और फिर बोला-
“तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि वह… इस महामारी का समाधान हो सकती है?”
“यह खून वायरस से लड़ने की क्षमता रखता है। यह खुद को किसी बाहरी संक्रमण से बचा सकता है।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है—क्या यह सिर्फ़ संयोग है, या इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण हैं?
यह खून न केवल वायरस के प्रभाव को रोक सकता था, बल्कि उसे निष्क्रिय भी कर सकता था।”
“अगर यह सच है, तो इसका मतलब है कि मेरी बेटी इस महामारी का समाधान हो सकती है,” उसने गंभीर स्वर में कहा।
शीला गहरी सोच में बोली-“हाँ, लेकिन इससे पहले कि हम कोई नतीजा निकालें, हमें इसे और जांचना होगा।”
शीला और हर्षल अपनी खोज में डूबे हुए थे।
लेकिन तभी, लैब के बाहर हल्की आवाज़ें आईं।
शीला ने तेजी से सिर उठाया।
“कोई यहाँ है?”
हर्षल भी सतर्क हो गया। उन्होंने इस लैब को पूरी तरह सुरक्षित रखा था। फिर यह आवाज़ें कैसी थीं?
हर्षल आवाज धीमी रखते हुए बोला- “क्या तुम्हें लगता है कि हमें कोई ढूँढ चुका है?”
“अगर कोई हमें खोज रहा है, तो इसका मतलब है कि हमें जल्दी कुछ करना होगा।”
“अगर हमें यहाँ से भागना पड़ा, तो हम यह खोज कैसे जारी रखेंगे?”
“पहले हमें यह जानना होगा कि बाहर कौन है।”
शीला भी यह बात समझ चुकी थी कि अगर वे अभी बाहर निकल गए, तो उनकी पूरी खोज खतरे में पड़ सकती थी।
अगर कोई बाहर था, तो उन्हें जल्दी फैसला लेना था। तभी बाहर तेज शोर सुनाई दिया जिसने उन्हें बता दिया कि बाहर और कोई नहीं था बल्कि जोंबीज की सेना थी अपने उस सरदार के साथ जो इमारत के मलवे से निकाल कर बाहर आ गया था
शीला और हर्षल के चेहरों से राहत का आखिरी निशान भी मिट चुका था।
अब चारों ओर खतरा,और समय बहुत कम था
शीला और हर्षल की बातचीत अभी चल ही रही थी कि चारों तरफ से भयानक चीख़ें आने लगीं।
हवा में गूँजती हुई आवाज़ें इतनी भयंकर थीं कि ज़मीन तक काँप उठी।
बाहर जोंबी सरदार ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया।
“लाखों जोंबी आ चुके हैं, अब तुम बच नहीं सकते!”
“नहीं अब ऐसा नहीं होगा…!” शीला ने तेजी से लैब का ऑटोमेटिक दरवाजा बंद कर दिया।
जोंबी सरदार भयानक ठहाका लगाते हुए बोला- “यह दरवाजा तुम्हें ज्यादा देर तक नहीं बचा सकता।”
शीला और हर्षल ने अपनी आखिरी योजना को अंजाम दिया, ऊपरी मंजिल पर रखा विस्फोटक सिलेंडर अब गिर चुका था।
**”अब देखना, यह इमारत इसके लिए कब्रगाह बनेगी!” शीला ने फुसफुसाया।
हवा में एक गहरी, भारी आवाज़ गूँजी।
धधड़!
एक जोरदार विस्फोट हुआ। शीला और हर्षल ने तुरंत दीवार के पीछे शरण ली। सारी इमारत धड़ाम- धड़ाम करके गिरने लगी।
जोंबी सरदार की गुर्राहट गूँजी, जैसे वह सब समझ गया हो लेकिन अब देर हो चुकी थी अब वह अपने साथी जोंबीञ के साथ इमारत के गिरते हिस्सों के नीचे फँस चुका था!
इमारत गिर रही थी। चारों ओर धूल और मलबा उड़ रहा था।
क्या जोंबी सरदार और उसकी सेना इस विस्फोट में हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थी?
इमारत के ढहने के बाद शीला और हर्षल ने पहली बार राहत की साँस ली थी।
शीला हर्षल और उसकी बेटी को लेकर एक गुप्त लैब में पहुँची।
यह कोई आम लैब नहीं थी। यह वही जगह थी जिसे शीला ने महामारी शुरू होने से पहले गुप्त रूप से सुरक्षित रखा था।
शीला ने साँस लेते हुए हर्षल को बताया “यह एक पुरानी लैब है, जहाँ मैंने पहले रिसर्च किया था। लेकिन जब हालात बिगड़ने लगे, तो मैंने इसे सुरक्षित रखा। हम यहां यह जांच करेंगे कि आखिर तुम्हारी बेटी के खून में ऐसा क्या है जो जॉम्बीज को दूर रख सकता है क्या तुम्हारी बेटी का खून जोंबी वायरस के एंटीडॉट के रूप में काम आ सकता है”
शीला ने लैब के सारे उपकरण तैयार किए।
अब उसे हर्षल की बेटी के खून का गहन अध्ययन करना था।
शीला ने खून के नमूने को माइक्रोस्कोप के नीचे रखा और पहला परीक्षण शुरू किया।
अब क्या होगा?
अगर इस खून में सच में कुछ खास था, तो यह दुनिया के लिए सबसे बड़ा बदलाव ला सकता था।
हर्षल अपनी बेटी को अपने पास बिठाए हुए था। उसकी आँखों में चिंता थी, लेकिन वह जानता था कि यह प्रयोग ही उनके सभी सवालों का जवाब दे सकता था।
शीला ने खून की पहली बूँद को माइक्रोस्कोप के नीचे रखा। कुछ क्षणों तक उसने निरीक्षण किया… और फिर उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।
शीला के मुंह से अविश्वास से भरा स्वर फूटा- “यह… यह असंभव है।”
“क्या हुआ?” हर्षल ने हैरानी से पूछा तो शीला एक गहरी सांस लेते हुए बोली- “यह खून किसी आम इंसान जैसा नहीं है। इसके भीतर कुछ ऐसा है जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा…इस खून की संरचना इतनी अनोखी है कि यह वायरस को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है।”
हर्षल ने अपनी बेटी को देखा और फिर बोला-
“तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि वह… इस महामारी का समाधान हो सकती है?”
“यह खून वायरस से लड़ने की क्षमता रखता है। यह खुद को किसी बाहरी संक्रमण से बचा सकता है।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है—क्या यह सिर्फ़ संयोग है, या इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण हैं?
यह खून न केवल वायरस के प्रभाव को रोक सकता था, बल्कि उसे निष्क्रिय भी कर सकता था।”
“अगर यह सच है, तो इसका मतलब है कि मेरी बेटी इस महामारी का समाधान हो सकती है,” उसने गंभीर स्वर में कहा।
शीला गहरी सोच में बोली-“हाँ, लेकिन इससे पहले कि हम कोई नतीजा निकालें, हमें इसे और जांचना होगा।”
शीला और हर्षल अपनी खोज में डूबे हुए थे।
लेकिन तभी, लैब के बाहर हल्की आवाज़ें आईं।
शीला ने तेजी से सिर उठाया।
“कोई यहाँ है?”
हर्षल भी सतर्क हो गया। उन्होंने इस लैब को पूरी तरह सुरक्षित रखा था। फिर यह आवाज़ें कैसी थीं?
हर्षल आवाज धीमी रखते हुए बोला- “क्या तुम्हें लगता है कि हमें कोई ढूँढ चुका है?”
“अगर कोई हमें खोज रहा है, तो इसका मतलब है कि हमें जल्दी कुछ करना होगा।”
“अगर हमें यहाँ से भागना पड़ा, तो हम यह खोज कैसे जारी रखेंगे?”
“पहले हमें यह जानना होगा कि बाहर कौन है।”
शीला भी यह बात समझ चुकी थी कि अगर वे अभी बाहर निकल गए, तो उनकी पूरी खोज खतरे में पड़ सकती थी।
अगर कोई बाहर था, तो उन्हें जल्दी फैसला लेना था। तभी बाहर तेज शोर सुनाई दिया जिसने उन्हें बता दिया कि बाहर और कोई नहीं था बल्कि जोंबीज की सेना थी अपने उस सरदार के साथ जो इमारत के मलवे से निकाल कर बाहर आ गया था
शीला और हर्षल के चेहरों से राहत का आखिरी निशान भी मिट चुका था।
अब चारों ओर खतरा,और समय बहुत कम था
शीला और हर्षल की बातचीत अभी चल ही रही थी कि चारों तरफ से भयानक चीख़ें आने लगीं।
हवा में गूँजती हुई आवाज़ें इतनी भयंकर थीं कि ज़मीन तक काँप उठी।
बाहर जोंबी सरदार ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया।
“लाखों जोंबी आ चुके हैं, अब तुम बच नहीं सकते!”
“नहीं अब ऐसा नहीं होगा…!” शीला ने तेजी से लैब का ऑटोमेटिक दरवाजा बंद कर दिया।
जोंबी सरदार भयानक ठहाका लगाते हुए बोला- “यह दरवाजा तुम्हें ज्यादा देर तक नहीं बचा सकता।”
शीला और हर्षल ने अब तक कई खतरों का सामना किया था, लेकिन अब उनकी सबसे बड़ी चुनौती सामने थी। बाहर लाखों जोंबी लैब को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे।
शीला ने कंप्यूटर स्क्रीन को देखा—”दरवाजे के ऑटोमेटिक लॉक अधिक देर तक नहीं टिक पाएंगे।”
हर्षल ने अपनी डरी हुई बेटी को अपनी बाहों में कसकर पकड़ा। उसकी आँखों में डर था, लेकिन उसकी बेटी के चेहरे पर डर से भी बड़ा एक सवाल था—क्या वे बच पाएंगे?
लैब के बाहर गूँजती हुई चीख़ों ने शीला और हर्षल को पूरी तरह सतर्क कर दिया था।
बाहर जोंबी सरदार अपनी सेना को आदेश दे रहा था।
“हमला करो!” उसने गरजते हुए कहा।
“इस लैब को तोड़ दो, और उस बच्ची को पकड़ लो। उसका खून हमारा विनाश कर सकता है!”
शीला ने तेजी से लैब के दरवाजे की स्थिति देखी—”अब यह अधिक देर तक नहीं टिक पाएगा। “
“हम ज्यादा समय तक यहाँ सुरक्षित नहीं रह सकते!”
“अगर यह दरवाजा टूट गया, तो हम सीधे उनके बीच फँस जाएँगे!”
“हमें भागना होगा, लेकिन कैसे?”
“अगर हम लैब का कोई गुप्त रास्ता खोज लें, तो हम बच सकते हैं!”
अब क्या? यह सवाल दोनों के दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहा था।
अचानक शीला बोली-” अब तुम्हारी बेटी ही हमें और दुनिया को बचा सकती है!”
हर्षल हैरानी से बोला-” कैसे?’
सवाल के जवाब में जब शीला ने शीला चुप रही तो हर्षल ने चिंतित स्वर में कहा- “क्या सच में हमारी बेटी का खून इन जोंबी को खत्म कर सकता है? लेकिन सवाल है—क्या इसका इस्तेमाल किया जा सकता है बिना उसकी जान को खतरे में डाले?”
शीला इस दुविधा में खो गई थी। हर्षल ने अब तक कुछ नहीं कहा था। लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब कठोरता आ चुकी थी। वह गंभीर स्वर में बोला- “अगर यह ही रास्ता बचा है, तो हमें इसे अपनाना ही होगा।”
शीला हिचकिचाते हुए बोली- “लेकिन… इसका खतरा बहुत बड़ा है, हर्षल। मैं तुम्हारी बेटी की जान को खतरे में नहीं डाल सकती।”
“अगर उसका खून सच में इन जोंबी को खत्म कर सकता है, तो हमें इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा। लेकिन पहले हमें यह पूरी तरह समझना होगा कि यह कैसे काम करता है।”
लैब की दीवारें कंपकंपा रही थीं, जैसे वो अभी टूटकर गिरने वाली हों। शीला और हर्षल असहाय खड़े थे। बाहर जोंबी सेना अंतिम प्रहार करने के लिए तैयार थी। दरवाजे की चादरें चीख़ रही थीं, और शीला ने हर्षल की ओर देखा—उसकी आँखों में घबराहट थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था क्या वे अब भी बच सकते हैं?
तभी अचानक, एक मासूम लेकिन दृढ़ आवाज़ लैब में गूँजी। “पापा…”
हर्षल और शीला ने एक झटके में पीछे मुड़कर देखा। तो उनकी आँखें फटी रह गईं। हर्षल की बेटी अब ज़मीन पर बैठी थी। उसके चेहरे पर भय नहीं था—बल्कि एक अडिग संकल्प था।
उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखें भरी हुई थीं।
हर्षल ने घबराकर पूछा-“क्या हुआ, बेटा? तुम ठीक हो?”
वह मुस्कुराई और धीमे से बोली- “पापा… अगर मेरे खून से दुनिया बच सकती है, तो मैं इसके लिए तैयार हूँ।”
शीला स्तब्ध होकर बोली-“नहीं, ऐसा मत कहो! हम कोई और रास्ता निकाल सकते हैं!”
वह फिर मुस्कुराई “पर समय नहीं है, आंटी।”
कहते हुए हर्षल की बेटी ने गहरी साँस ली, और अचानक उसने अपनी हथेली को चाकू से काट लिया।
लाल रक्त की धार बहने लगी। हर्षल और शीला अविश्वास से उसे देखते रह गए।
“नहीं!!” हर्षल चीखा।
लेकिन अब देर हो चुकी थी। सब कुछ इतने अप्रत्याशित ढंग से हुआ था कि किसी के पास ना कुछ समझने का मौका था और ना कुछ करने का।
बच्ची ने अपना सिर हल्का सा झुकाया और धीमे स्वर में कहा—”यह मेरा फैसला है।” इतना कहने के बाद उसकी गर्दन हमेशा के लिए लटक गई।
हर्षल टूटे हुए स्वर में चीख पड़ा “नहीं… यह नहीं हो सकता…”
शीला आँसू रोकते हुए बोली “हमें उसके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए!” इतना कहने के बाद शीला ने तुरंत खून को एक छोटे कंटेनर में इकट्ठा करना शुरू कर दिया।
“हमें इसे एंटीडोट बनाना होगा, अभी!”
जोंबी अब दरवाजा तोड़ चुके थे। वे अंदर घुस आए थे। जोंबी सरदार ने गुर्राते हुए कहा—”अब कोई नहीं बच सकता!”
लेकिन इससे पहले कि जोंबी हमला कर पाते—शीला ने अपने पूरे हाथों की ताकत से एंटीडोट को एक बड़ी गन में डाला और उसे चलाया। लाल रंग की बारिश जोंबी पर गिरी। और इसी के साथ मानो चमत्कार हो गया जिस जिसके शरीर पर खून की बूंदे पड़ी वह पहले तो तड़पने लगे। उनके शरीर कांपने लगे, जैसे कोई बड़ा झटका लग रहा हो।
फिर, धीरे-धीरे… उनकी विकृत त्वचा सामान्य होने लगी। अब वे वापस इंसान बनने लगे थे। एक के बाद एक—जोंबी के शरीर से वायरस हटता चला गया।जोंबी सरदार अभी भी चकित था “यह… यह क्या हो रहा है…?”
“तुम अब इंसान बन रहे हो।” शीला ने शांत स्वर में कहा।
थोड़ी ही देर में,पूरी जोंबी सेना सामान्य हो चुकी थी।
महामारी खत्म हो रही थी।
दुनिया बच गई—लेकिन इसकी भारी कीमत चुकाई गई थी
हर्षल अब भी अपनी बेटी के ठंडे शरीर को पकड़कर बैठा था।
हर्षल आँसू बहाते हुए बोला-“वो बचा ले सकती थी खुद को… अगर मैंने उसे नहीं जाने दिया होता…”
“नहीं, हर्षल। उसने हमें बचाने के लिए अपना बलिदान दिया। उसने पूरी दुनिया को बचाया।” शीला ने आगे बढ़कर हर्षल के आंसू पौंछे तो वह एक बार फिर फ़फक उठा-
“लेकिन उसकी जगह कोई नहीं ले सकता…कोई नहीं”
अगले कुछ दिनों में, दुनिया को जोंबी महामारी से मुक्त घोषित कर दिया गया।
और यह हुआ था उसे नन्ही बच्ची की वजह से
जिसने अपनी जान देकर पूरी मानवता को बचाया था।